श्रीगंगानगर में घड़साना में बार संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह झोरड़ की आत्महत्या के मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया है। वकील के परिवार के सदस्यों ने पुलिसकर्मियों पर उसे परेशान करने का आरोप लगाया था। जिसके बाद दो पुलिस इंस्पेक्टर सहित सात पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। एसपी आनंद शर्मा ने कहा कि यह फैसला मंगलवार देर रात लिया गया। बुधवार को पोस्टमार्टम के बाद वकील का शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा। बता दें कि श्रीगंगानगर घड़साना तहसील में सोमवार को घड़साना बार संघ के पूर्व अध्यक्ष विजय सिंह झोरड़ ने आत्महत्या कर ली। विजय ने अपने घर की तीसरी मंजिल पर लगी लोहे की सीढ़ी पर फंदा बांधकर फांसी लगा ली थी। इससे पहले उन्होंने अपने एक वकील दोस्त को फोन कर इसकी जानकारी दी थी। विजय के परिवार वालों ने उसकी मौत का जिम्मेदार घड़साना थाना अधिकारी मदनलाल बिश्नोई समेत थाने के अन्य छह पुलिसकर्मियों को ठहराया। उन्होंने कहा कि इलाके में बढ़ नशे के कोरोबार के खिलाफ विजय ने कुछ समय पहले आंदोलन शुरू किया था। इसके बाद से ही पुलिस उसे प्रताड़ित कर रही थी। अप्रैल में विजय के साथ मारपीट भी की गई थी। इसके बाद से ही वह मानसिक रूप से परेशान चल रहा था। घटना से आक्रोशित परिजनों ने शव को उठाने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद सात पुलिसकर्मियों को निलंबित किया है। निलंबित पुलिसकर्मियों में घरसाना थाना प्रभारी (एसएचओ) और निरीक्षक मदन लाल, निरीक्षक सुरेंद्र सिंह, दो उप निरीक्षक (एसआई), एक सहायक एसआई, एक हेड कांस्टेबल और एक कांस्टेबल शामिल है।
युवकों ने लगाया था वसूली का आरोप
पुलिस ने बताया कि अप्रैल में विजय सिंह तीन युवकों को घरसाना थाने ले गया था। वकील ने उन पर नशा तस्कर होने का आरोप लगाया था। हालांकि, युवकों के पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुआ, लेकिन उन्हें आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 के तहत गिरफ्तार किया गया और बाद में रिहा कर दिया गया। युवकों ने आरोप लगाया कि वकील और अन्य पर पिटाई करने और उनसे 8,000 रुपये की जबरन वसूली करने का आरोप लगाया। युवकों को पीटे जाने का एक वीडियो भी सामने आया था।
इसके बाद अधिवक्ता और अन्य लोग थाने पहुंचे और फिर युवकों की गिरफ्तारी की मांग की और हंगामा किया। एसपी ने कहा कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। जिसमें 18 अप्रैल को विजय सिंह घायल हो गए थे। उसके बाद विजय सिंह ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ मारपीट की प्राथमिकी दर्ज की, जबकि तीन युवकों ने एसएचओ के खिलाफ अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया।