Share on WhatsApp

बीकानेर की यह संस्था करवा चुकी है 12096 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार, ऐसे शुरू हुआ था नेकी का सिलसिला

बीकानेर। कहा जाता है कि बदलते दौर में लोग जब अपने परिचित या परिवार से मुंह मोड़ लेते हैं। उनका साथ छोड़ देते हैं तो कुछ लोग नाउम्मीद भरी दुनिया मसीहा बनकर आते हैं। गरीब, लाचार, लावारिस लोगों के लिए बीकानेर की एक संस्था किसी देवदूत से कम नहीं हैं। लगभग पच्चीस लोगों की यह संस्था ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए सैकड़ों दाह संस्कार करवाकर इंसानियत की मिसाल पेश की हैं। ते हुए। यह संस्था लावारिस, दुर्घटना मे जख्मी इंसानो का इलाज तो करवाती ही है साथ ही इन दुर्घटना मे मृत लावारिस शवों का अंतिम संस्कार भी करवाती है। संस्था के फाऊंडर मेंबर बीकानेर नगर निगम के हेल्प सेंटर में कार्यरत नसीम ऐसे तो एक सामान्य कर्मचारी हैं। बावजूद इसके आज वो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उनकी नेकी और मानवता के प्रति सच्ची सेवा ने उन्हें आम लोगों का मसीहा बना दिया है। नसीम पिछले 24 सालों से बीकानेर जिले में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं और वो भी मृतक के धार्मिक परंपराओं के अनुसार नसीम बताते हैं कि करीब 24 साल पहले वो हर रोज की तरह ही एक दिन कार्यालय जा रहे थे, तभी एक परिचित ने उनसे संपर्क किया और उन्हें बताया कि एक मुस्लिम व्यक्ति का शव पीबीएम अस्पताल की मोर्चरी में लावारिस हालत में पड़ा है। कोई उस शव को लेने नहीं आ रहा है। ऐसे में उसे सुपुर्द-ए-खाक कैसे किया जाए। उसके बाद उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिलकर उस शव को इस्लामिक रीति-रिवाज से दफन किया और तभी से ये सिलसिला शुरू हो गया। नसीम बताते हैं कि उनके इस काम की इमाम मरहूम गुलाम अहमद फरीदी ने तारीफ की और उन्हें सलाह दी कि वो बदस्तूर इस नेकी को जारी रखें।

*12096 लावारिस शवों का किया अंतिम संस्कार*

 

नसीम की मानें तो अब तक उन्होंने करीब 12096 से अधिक लावारिस शवों का अंतिम संस्कार किया है. इसको लेकर वो कहते हैं कि लावारिस हालत में मिले शवों की शिनाख्त के बाद वो उनके धार्मिक रीति से उनका अंतिम संस्कार या फिर उन्हें दफन करते हैं। उन्होंने आगे बताया कि इस सेवा कार्य में उनके साथ और भी कई लोग जुड़े हैं, जो बिना किसी धार्मिक भेदभाव के निरंतर सेवा कर रहे है। *अकेला चला था, लोग जुड़ते गए और कारवां बनता गया*

बकौल नसीम शुरू-शुरू में कई तरह की दिक्कतें आईं, लेकिन धीरे-धीरे लोग उसके इस नेकी के इस काम में जुड़ते गए। आज उनकी संस्था खिदमतगार खादिम सोसायटी से लोग खुद-ब-खुद जुड़ रहे हैं, जिससे उनका संस्था रूपी कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। मौजूदा समय में संस्था के पास दो फोर व्हीलर गाड़ियां भी हैं. इसके अलावा चार डीप बॉडी फ्रीजर व अन्य जरूरी चीजें भी मौजूद हैं। इतना ही नहीं आगे उन्होंने बताया कि अब एक शख्स उन्हें बिना राशि लिए निशुल्क कफन का कपड़ा मुहैया कराता है तो वहीं गाड़ी के तेल, सर्विस व अन्य खर्चे भी सामाजिक सहयोग से मिल जाते हैं। नसीम कहते हैं कि लावारिस शवों के अंतिम संस्कार या फिर उसे दफनाने के लिए नगर निगम की ओर से राशि दी जाती है, लेकिन उन्होंने कभी भी निगम से एक रुपए भी नहीं लिया।वो कहते हैं कि हमारी संस्था में सहयोग करने वाले सभी धर्म के लोग हैं. यही कारण है कि खुद जिला प्रशासन के स्तर पर उनकी संस्था के कार्य को देखते हुए उन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

 

*कोरोना में भी जारी रहा सेवा का जज्बा*

नसीम के साथी अख्तर कलीम ने बताया कि कोरोना जैसी विभिषिका मे जब मृत लोगों के परिजनों ने भी शवों को लेने में इंकार कर दिया तो उनकी संस्था ने शवों के अंतिम संस्कार का सिलसिला जारी रखा। उन्होंने बताया कि पीबीएम अस्पताल और जिले के अलग-अलग पुलिस थानों से भी लावारिस शवों की सूचना संस्था को दी जाती रही और वो उन शवों का अंतिम संस्कार करते रहे।

 

*संस्था के पास छोटे टेंट हाउस जितना सामान*

खिदमतगार खादिम सोसायटी संस्था के पास छोटे टेंट हाउस जितना सामान है जो किसी भी आपदा या विपत्ति के समय काम आ सकता है।

 

संस्था के पास 2 एम्बुलेंस गाड़ी, 3 ऑक्सीजन मशीन, 12 बेड, 12 गद्दे, 6 हवा गद्दे, 18 ऑक्सीजन टंकी बड़ी, 3 ऑक्सीजन छोटी टंकी, 1 स्टील ऑक्सीजन टंकी, 5 व्हील चेयर, 4 डी फ्रीज, 200 केम्पर, दो बॉडी हेतु पेटी, 12 नगर भाप मशीन, 7 नग बी.पी. स्टुमेन्ट, 3200 मीटर कफन थान, 10 स्ट्रवाल टंकी, 2 नग स्ट्रेचर, 15 नग फायर टंकी, 2 फोगिंग मशीन, 6 मच्छर मार टंकी डेंगू रोधी फागिंग मशीन है।

 

हालांकि लावारिस मरीजों की सेवा से लेकर अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कराने में एक तरफ जहां सोसायटी को क ई सामाजिक संस्थाओं का भरपूर सहयोग मिलता है, वहीं कई लोग तरह-तरह के ताने देकर हमें हतोत्साहित भी करते रहते हैं। लेकिन संस्था के लोग कभी भी अपनी नेकनीति से डिगे और लगातार अपने काम में लगे हुए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *