
जयपुर। जेके लोन अस्पताल में हाल ही दो दुर्लभ बीमारियों के इलाज की खोज की।लेकिन प्रदेश में दुर्लभ बीमारियों का इलाज अभी काफी महंगा है और सामान्य मरीज इसके इलाज में आने वाले खर्च को वहन नहीं कर सकता। ऐसे में एकमात्र उपाय क्राउडफंडिंग से एकत्रित किया गया पैसा होता है. इसे देखते हुए अब दुर्लभ बीमारी के इलाज को लेकर राज्य सरकार भी क्राउडफंडिंग पोर्टल बनाने जा रही है।इसके माध्यम से दुर्लभ बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को आर्थिक सहायता उपलब्ध हो सकेगी।इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़: पॉम्पे डिजीज, स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1, टर्नर सिंड्रोम, डाउन सिंड्रोम कुछ ऐसी बीमारियां हैं जो दुर्लभ मानी गई हैं। उदाहरण के लिए कुछ समय पहले जयपुर के जेके लोन अस्पताल में एक बच्चे को एडमिट किया गया था, जिसमें स्पाइनल मस्कुलर अट्रॉफी-1 नामक बीमारी पाई गई थी। इस दवा की पूरी डोज की कीमत बाजार में लगभग 4 करोड़ रुपए प्रति वर्ष है। इसे आजीवन देने की आवश्यकता होती है। कुछ समय पहले जेके लोन में एक अन्य मामला भी सामने आया था जहां 1 बच्चे में दुर्लभ बीमारी पाई गई थी।इसके इलाज के लिए आने वाले 1 इंजेक्शन की कीमत 16 करोड़ रुपए थी। ऐसे में इन महंगी दवाओं को हर कोई व्यक्ति वहन नहीं कर सकता।जेके लोन अस्पताल के पूर्व अधीक्षक और दुर्लभ बीमारियों पर रिसर्च कर रहे डॉक्टर अशोक गुप्ता का कहना है कि दुर्लभ बीमारियों को लेकर जयपुर के जेके लोन अस्पताल में पिछले 8 साल से एक सेंटर चलाया जा रहा है, जहां लगभग 1300 से अधिक बच्चे दुर्लभ बीमारी से पीड़ित पाए गए हैं।डॉ गुप्ता का मानना है कि आमतौर पर दुर्लभ बीमारियों का इलाज काफी महंगा होता है । ऐसे में सिर्फ क्राउडफंडिंग के माध्यम से ही इन बच्चों का इलाज संभव हो रहा है। अब राज्य सरकार भी एक क्राउडफंडिंग पोर्टल बनाने की तैयारी कर रही है, जहां दुर्लभ बीमारियों से ग्रसित बच्चों का इलाज हो सकेगा।