जयपुर। पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने रविवार को विभाग के उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर प्रदेश के पश्चिमी जिलों के मवेशियों में फैल रही लम्पी स्किन डिजीज की स्थिति एवं रोकथाम के लिए किए जा रहे प्रयासों की समीक्षा की। उन्होंने प्रभावित जिलों के कलक्टर से वार्ता कर स्थिति का जायजा लिया और बीमारी के उपचार एवं रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए।
कटारिया ने बताया कि पश्चिमी राजस्थान के जैसलमेर, जालौर, बाड़मेर, सिरोही, जोधपुर एवं बीकानेर जिलों में यह संक्रामक रोग गायों में फैल रहा है। उन्होंने डिजीज की रोकथाम एवं उपचार के लिए आवश्यक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिये है। साथ ही आपातकालीन परिस्थितियों में औषधियां क्रय करने के लिए आवश्यकता अनुसार अतिरिक्त बजट आवंटन करने के निर्देश भी दिये। उन्होंने कहा कि प्रभावित जिलों में जहां पशु चिकित्सा कार्मिकों की कमी हो तो वहां कम रोग प्रकोप वाले पड़ोसी जिलों से चिकित्सा दल गठित कर भेजें। इसके अतिरिक्त निदेशालय स्तर से जिले के नोडल अधिकारियों को प्रभावित क्षेत्रों में दौरा कर निगरानी एवं प्रभावी कार्यवाही करने के निर्देश दिए।कटारिया ने पशुओं में फैल रहे इस रोग की सतत निगरानी के लिए प्रभावित जिलों के साथ-साथ जयपुर मुख्यालय पर भी नियंत्रण कक्ष स्थापित करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि सोमवार को केंद्रीय विशेषज्ञ दल द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया जायेगा।शासन सचिव पीसी किशन ने बताया कि जोधपुर संभाग में पशुओं में इस बीमारी का प्रकोप ज्यादा है, हालांकि इसमें मृत्यु दर ज्यादा नहीं है। बीमार होने वाले पशुओं में से एक से डेढ़ प्रतिशत पशुओं की मौत हो रही है, जो काफी कमजोर और कम रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले हैं। उन्होंने बताया कि प्रभावित प्रत्येक जिले को आपातकालीन जरूरी दवाएं खरीदने के लिए पहले ही एक-एक लाख रुपए और पॉली क्लीनिक को 50-50 हजार रुपए जारी किए गए हैं। साथ ही जिन जिलों में फंड की आवश्यकता है उन्हें अतिरिक्त राशि दी जाएगी। उन्होंने बताया कि ज्यादा प्रभावित जिलों में स्टेट मेडिकल टीम और पड़ोसी जिलों से टीमें भेजी जाएगी। बीमारी की रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों की प्रभावी मॉनिटरिंग के लिए राज्य स्तर से नोडल अधिकारी भेजे जाएंगे। उन्होंने बताया कि प्रभावित जिलों के कलक्टरों को पशु चिकित्सकों के साथ बैठक कर बीमारी की रोकथाम के लिए प्रयास करने के निर्देश दिए गए हैं।बैठक में अतिरिक्त निदेशक (रोग निदान) डॉ. एमएन सिंह एवं अतिरिक्त निदेशक (मॉनिटरिंग) डॉ. आनंद सेजरा उपस्थित थेउल्लेखनीय है कि लम्पी स्किन डिजीज से बचाव के लिए पशु चिकित्सकों द्वारा लक्षण आधारित उपचार किया जा रहा है। साथ ही पशुपालकों को स्वस्थ पशुओं को बीमारी से बचाने के लिए संक्रमित पशु को एकदम अलग बांधने, बुखार और गांठ आदि लक्षण दिखाई देने पर तुरन्त पशु चिकित्सक से सम्पर्क कर ईलाज कराने तथा अनावश्यक रूप से पशुओं का आवागमन नहीं कराने की सलाह दी गई है।