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कारगिल के हीरो: 11 गोलियां खाकर भी दुश्मनों से लड़ते रहे कुलदीप गौतम, आज लोगों को सिखा रहे ड्राइविंग स्किल

देश आज कारगिल विजय दिवस मना रहा है। यह दिन ‘ऑपरेशन विजय’ की शौर्य गाथा को बताता है। कारगिल दिवस के मौके पर हम आपको भारत के ऐसे जांबाज की कहानी बताने जा रहा है जिसने कारगिल युद्ध में लड़ाई के दौरान दुश्मनों की 11 गोलियां खाई थी। लेकिन फिर भी वह मैदान में डटे रहे। आज वो वीर बीकानेर के लगभग बारह सौ से ज्यादा युवकों को ड्राइविंग के गुर सिखा रहा है। 11 गोलियां खाकर भी दुश्मनों से लड़ते रहे। साल 1999 में भारत और पाकिस्तान की सेनाओं के बीच कारगिल युद्ध हुआ था। इस युद्ध में देश के वीर सैनिको ने अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया ताकि दुश्मन के नापाक पैर हिंदुस्थान की जमीन पर न पड़ पाए । के कई जवानों ने अपनी शहादत दी थी। इस युद्ध में देश के कई जांबाज दुश्मन की गोली लगने से घायल भी हुए थे। उनमें से एक यूपी के कुलदीप गौतम भी थे। जो पिछले कई सालों से बीकानेर में रह रहे हैं । कारगिल युद्ध के जांबाज सिपाही कुलदीप गौतम के शरीर पर दुश्मनों राइफल ने 11 गोलियां मारी थी। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद भी गौतम दुश्मनों से लड़ते रहे। हैरत की बात है कि पूरा शरीर छलनी होने होने बाद आज रिटायर्ड सूबेदार कुलदीप गौतम बीकानेर में रहकर ड्राइविंग सिखा रहे हैं। आज कारगिल विजय दिवस पर कुलदीप को युद्ध क्षेत्र में अपनी वीरता के लिए सम्मानित किया गया।अपने इस सम्मान के बाद कुलदीप ने कारगिल युद्ध के बारे में बताते हुए कहा कि बताते हैं कि दुश्मन टाइगर हिल पर कब्जा कर बैठा था. सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौती थी उसे वापस अपने कब्जे में लेने की। दुश्मन पहाड़ों से गोलियां दाग रहे थे। लेकिन भारतीय जवानों ने वीरता दिखाते हुए टाइगर हिल पर कब्जा कर पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया ।युद्ध में उनके पूरे शरीर में ग्यारह गोली लगी थी जिसके बाद 3.5 साल वे हास्पिटल में रहे । क ई साल व्हील चेयर पर बिताए। बावजूद इसके उन्होंने हार नहीं मानी। सालों के शारिरिक कष्ट झेलने के बाद कुलदीप ने बीकानेर में अपना एक ड्राइविंग स्कूल खोला जहां वे ड्राईविंग सिखाने के साथ- साथ लोगों में राष्ट्रभक्ति की देशप्रेम अलख जगा रहे हैं।

बाइट कुलदीप गौतम, कारगिल युद्ध के हीरो।

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