बीकानेर। नगर स्थापना के अवसर पर बीकानेर में होने पतंगबाजी पर इस बार महंगाई ने डोर काट कर रख दी है। गत वर्षों के मुकाबले इस बार पतंग-मांझे पर महंगाई की मार ऐसी पड़ी है कि पतंग विक्रेता मायूस हैं।पतंग विक्रेताओं का कहना है पहले दो सालो से कोरोना महामारी ने व्यापार चौपट कर दिया था पर इस बार महंगाई के चलते इस बार आधी बिक्री भी नहीं हुई है। बीकानेर में सैकड़ो सालो से अक्षय तृतीया के मौके पर पतंगबाजी की परम्परा है। होली के बाद से ही यहां आसमां में पतंगें झूमती हैं। अक्षय तृतीया के एक हफ्ते पहले से पतंगबाजी के शौकीन से घरों की छते सुबह से श्याम तक आबाद रहती हैं, लेकिन इस बार पतंगबाजी भी महंगाई से अछूती नहीं रही है।शहर के कोटगेट, शार्दूल स्कूल, दाऊजी मन्दिर,जस्सूसर गेट इलाके में पतंगों की दुकानें लगी हुई है लेकिन ग्राहकों के अभाव मैं पतंग विक्रेताओं के चेहरे पर मायूसी साफ दिखाई देती हैं।पतंग व डोर के व्यापारी सन्नू हुसैन के अनुसार गत वर्षों तक जो पतंग 3 रुपए की आती थी वह इस बार 6 से 7 रुपए और 10 रुपए वाली पतंग 18 रुपए तक की हो गई है। वहीं मांझे की प्रत्येक चरखी पर 100 से 150 रुपए तक की बढ़ोतरी हुई है। यानि 750 रुपए की मांझे की चरखी अब 850 रुपए तक पहुंच गई है।कमोबेश यही स्थिति डोर की है, जिस पर भी महंगाई की मार पड़ी है।कुछ व्यापारियों का यह भी मानना है कि आगामी एक दो दिन मैं इस व्यापार में तेजी आएगी क्योंकि आगामी दिनों में शहर में शादियों का सीजन है बीकानेर से बाहर रहने वाले लोग इन शादियों में शरीक होंगे अनुमान लगाया जा रहा है कि तब यह व्यापार गति पकड़ेगा। हालांकि पतंग विक्रेता यह भी मानते हैं कि भाग-दौड़ भरी जिंदगी और मोबाइल का चलन बढ़ने से युवा वर्ग पतंगबाजी के प्रति अधिक लगाव नहीं रखते हैं। हालांकि बच्चों में पतंगबाजी के प्रति उत्साह बरकरार है।