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बीकानेर:बिना दुल्हन के लौटी दूल्हे की बारात, धुलंडी पर निकली अनोखी बारात,तीन शताब्दियों से निभाई जा रही परंपरा

बीकानेर:बिना दुल्हन के लौटी दूल्हे की बारात, धुलंडी पर निकली अनोखी बारात,तीन शताब्दियों से निभाई जा रही परंपरा

बीकानेर। धुलंडी के दिन एक अनोखी शादी की बारात निकली, जिसमें दूल्हा तो था, लेकिन दुल्हन नहीं! यह अनूठी परंपरा तीन सौ साल से चली आ रही है, जिसमें हर्ष जाति का अविवाहित युवक विष्णु रूप में सजकर बारात लेकर निकलता है।

 

इस बार ऋषि हर्ष बने विष्णुरूपी दूल्हा मोहता चौक से बारात लेकर निकले। बैंड-बाजे की धुन पर बारातियों ने मांगलिक गीत गाए और दूल्हे का स्वागत किया। बारात शहर के 13 प्रमुख मकानों के आगे पहुंची, जहां घर की महिलाओं ने पोखने की रस्म निभाई और मांगलिक गीत गाए।इतिहास के व्याख्याता मुकेश हर्ष के अनुसार, यह परंपरा तीन शताब्दी से निभाई जा रही है। जिस रास्ते से यह बारात गुजरती है, वहां का माहौल शादी जैसा हो जाता है। शंखध्वनि, झालर की झंकार और मांगलिक गीतों के बीच यह अनोखी बारात प्रेम, सद्भाव और परंपरा का संदेश देती है।धुलंडी पर निकली इस अनूठी बारात की खास बात यही है कि दूल्हा हर साल बिना दुल्हन के लौटता है, फिर भी उल्लास और उमंग में कोई कमी नहीं होती!

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