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बीकानेर: बुआ-भतीजी के बीच राजघराने की जंग: देवस्थान विभाग ने बदला फैसला, राज्यश्री को मिला ट्रस्ट का अधिकार

बीकानेर: बुआ-भतीजी के बीच राजघराने की जंग: देवस्थान विभाग ने बदला फैसला, राज्यश्री को मिला ट्रस्ट का अधिकार

बीकानेर : पूर्व राजघराने की संपत्ति विवाद में नया मोड़ आ गया है। भाजपा विधायक सिद्धि कुमारी को तगड़ा झटका देते हुए देवस्थान विभाग ने अपने पुराने आदेश को पलट दिया है। नए आदेश के तहत राज्यश्री कुमारी, मधुलिका कुमारी, और हनुवंत सिंह को ट्रस्ट का ट्रस्टी मान लिया गया है। इस फैसले से राज्यश्री के प्रभाव वाले ट्रस्ट को मजबूती मिल गई है, और वह जूनागढ़, लालगढ़ सहित अन्य संपत्तियों पर अधिकार के साथ दौरा कर सकती हैं।

 

*राज्यश्री ने लगाए विधायक सिद्धि कुमारी पर लगाए गंभीर आरोप*

राज्यश्री ने मीडिया से बात करते हुए अपनी भतीजी और बीकानेर पूर्व की विधायक सिद्धि कुमारी पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनकी माता सुशीला देवी के निधन के बाद से सिद्धि कुमारी उन्हें परेशान कर रही हैं। उन्होंने पुलिस थानों में झूठे मामले दर्ज करवाने और जूनागढ़-लालगढ़ में बाउंसर खड़े करने का भी आरोप लगाया।

 

*पांच ट्रस्टों पर बढ़ा विवाद*

राजघराने की बेशकीमती संपत्तियों और पांच ट्रस्टों (महाराजा गंगा सिंह ट्रस्ट, महाराजा राय सिंह ट्रस्ट, करणी सिंह फाउंडेशन, करणी चैरिटेबल ट्रस्ट, महारानी सुशीला कुमारी ट्रस्ट) को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। पहले इन ट्रस्टों को राज्यश्री देखती थीं, लेकिन सुशीला कुमारी के निधन के बाद सिद्धि कुमारी ने इन्हें अपने अधिकार में ले लिया और ट्रस्टी बदल दिए।

 

*देवस्थान विभाग का बदलता रुख*

27 मई 2024 को देवस्थान विभाग ने सिद्धि कुमारी के पक्ष में फैसला सुनाया था, जिसमें पुराने ट्रस्टी हटाकर नए ट्रस्टी बनाए गए थे। लेकिन अब मुंबई हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए देवस्थान विभाग ने पुराने ट्रस्टी—राज्यश्री कुमारी, मधुलिका कुमारी, और हनुवंत सिंह—को ही मान्यता दे दी है।

 

*परिवार की इज्जत बचाने की अपील*

राज्यश्री कुमारी ने कहा कि वह किसी भी विवाद से बचना चाहती हैं और परिवार की इज्जत को बरकरार रखना चाहती हैं। लेकिन दोनों पक्षों के बीच का यह विवाद राजघराने की आंतरिक लड़ाई को और उजागर कर रहा है।

 

*अब क्या होगा?*

दोनों पक्षों के दावों के चलते यह संपत्ति विवाद और गहरा गया है। अदालत और प्रशासन की जांच से ही तय होगा कि इन ट्रस्टों का भविष्य किसके हाथ में होगा। फिलहाल, राज परिवार की संपत्ति का यह विवाद पूरे बीकानेर में चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

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