बीकानेर। सम्भाग के सबसे बड़े राजकीय डूंगर महाविद्यालय में राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ का क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया। स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए प्राचार्य डॉ. जी.पी.सिंह ने बताया कि सम्मेलन में नई शिक्षा नीति पर गहन मन्थन हुआ। डॉ. सिंह ने बताया कि सम्मेलन के मुख्य अतिथि सम्भागीय आयुक्त डॉ. नीरज के पवन रहे तथा अध्यक्षता डॉ. रघुराज सिंह परिहार ने की। सम्मेलन में रूक्टा महामंत्री डॉ. बनय सिंह, सहायक निदेशक डॉ. राकेश हर्ष, गगा सिंह विश्वविद्यालय के उप कुल सचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा, डॉ. एच.आर.इसरान, डॉ. घासीराम चौधरी, डॉ. जी.एन.घसिया, एआईफुक्टो के प्रो. अरूण सिंह आदि विशिष्ट अतिथि के रूप में उपास्थित रहे।इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. नीरज के.पवन ने कहा कि नई शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अनेक सम्भावनाएॅं हैं। उन्होनें युवाओं द्वारा सोशल मीडिया से ज्ञान अर्जित करने की प्रवृति पर गहरी चिन्ता व्यक्त की। उन्होनें कहा कि युवाओं को नई शिक्षा नीति के अनुसार ही नये भारत के निर्माण का ज्ञान देने की जिम्मेवारी शिक्षकों को ही लेनी होगी। उन्होनें राजकीय विद्यालयों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी जीवन में अग्रसर होने की प्रेरणा दी। सहायक निदेशक डॉ. राकेश हर्ष ने सभी आगन्तुूको का स्वागत करते हुए नई शिक्षा नीति में हुए परिवर्तनों का गहन अध्ययन करने की आवश्यकता पर बल दिया।इस अवसर पर डॉ. घासीराम चौधरी ने एआईफुक्टो के शिक्षकों के हितों के लिये किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होनें कहा कि देश की सांस्कृृतिक विविधता के कारण ही लोकतंत्र जीवित है। जिसे बनाये रखने में शिक्षकों को महती भूमिका निभानी होगी।रूक्टा महामंत्री डॉ. बनय सिंह ने संभागीय आयुक्त को शिक्षक हितैषी बताते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। डॉ. बनय सिंह ने रूक्टा के माध्यम से काबीना मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग सहित प्रो. अशोक आचार्य, डॉ. प्रकाश चतुर्वेदी आदि द्वारा किये गये शिक्षक संधर्ष की सराहना की। उन्होनें कॉलेज शिक्षा में संयुक्त निदेशक के पद पर प्रशासनिक अधिकारी लगाने का विरोध किया।उप कुल सचिव डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने कहा शिक्षकों को आपसी मतभेद भुलाकर नई शिक्षा नीति पर गहनता से मंथन करना होगा। डॉ. रघुराज सिंह ने सभी आगन्तुको एवं अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।उद्घाटन समारोह के बाद हुए तकनीकी सत्र में पूर्व प्राचार्य प्रो. एच.आर.इसरान ने मुख्य वक्ता के रूप में अपने उद्बोधन में कहा कि नई शिक्षा नीति में न्यायोचित संशोधन कर राज्य की भौगोलिक परिस्थिति एवं विद्यार्थियों के हितों के अनुसार ही राज्य सरकार को अवगत करवाना होगा। उन्होनें कहा कि कोई भी नवाचार जनउपयोगी होना चाहिये तथा उसके गुणादोष पर मंथन करने पश्चात ही लागू किया जाना चाहिये। डॉ. जे.पी.टेलर एवं एवं डॉ. के.एस.यादव ने भी इस पर अपने विचार रखे।सत्र के दौरान महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. वी. के. सिंह ने भी ऑनलाइन जुड़ते हुए नई शिक्षा नीति पर अपने विचार रखे।सम्मेलन मंें बीकानेर सम्भाग के चारों जिलों के विभिन्न महाविद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों ने भाग लिया।