Share on WhatsApp

बीकानेर: देश के लिए शहीद हुए अपने लाल के लिए मां की गुहार,मेरे बेटे की प्रतिमा लगाओ, उसकी शहादत को अमर बनाओ

बीकानेर: देश के लिए शहीद हुए अपने लाल के लिए मां की गुहार,मेरे बेटे की प्रतिमा लगाओ, उसकी शहादत को अमर बनाओ

बीकानेर। देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद मेजर जेम्स थॉमस की 88 वर्षीय माता श्रीमती मेरी कुटी थॉमस का हृदय आज भी अपने बेटे के सम्मान के लिए धड़क रहा है। उनका एक ही सपना है—बीकानेर के पब्लिक पार्क में उनके वीर पुत्र की प्रतिमा स्थापित हो, ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके बलिदान को याद रख सकें।शहीद मेजर जेम्स थॉमस, जिन्होंने 19 साल पहले कारगिल युद्ध के दौरान अदम्य साहस और पराक्रम दिखाकर देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए, उन्हें कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया था। अब उनकी 88 साल की बुजुर्ग मां अपनी आखिरी उम्मीद लिए प्रशासन से गुहार लगा रही हैं कि उनके बेटे की प्रतिमा स्थापित कर उसकी शहादत को अमर किया जाए।श्रीमती मेरी कुटी थॉमस का दर्द उनके लरजते हाथों से ही बयान हो जाता है जिससे वह सूबे के मुख्यमंत्री से लेकर जिले के तमाम नेताओं को पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, स्थानीय विधायकों और प्रशासन से इस मांग को पूरा करने की अपील की हैं शहीद थामस का कहना है कि मेरा बेटा देश के लिए मरा, लेकिन मैं रोज उसके बिना मरती हूं। उसकी यादें ही अब मेरी जिंदगी हैं। मैं चाहती हूं कि लोग उसे हमेशा याद रखें। क्या मेरे बेटे की शहादत का यही सिला है कि उसकी स्मृति मिट जाए? शहीद मां का मानना है कि इसे केवल एक प्रतिमा की स्थापना नहीं, बल्कि हर शहीद को सम्मान देने का कदम माना जाए । इसे लेकर एडवोकेट रामदयाल राजपुरोहित, सहीराम गोदारा, मनीष गौड़, गजेंद्र, राजू, सीताराम सियाग, गणेशदान और रामरख ने शहीद मेजर जेम्स थामस की प्रतिमा लगाने को लेकर सोशल मीडिया पर मुहिम भी चलाई सहित हैं।मामले को लेकर मनीष गौड़ का कहना है कि यह केवल एक प्रतिमा नहीं, बल्कि शहीदों के सम्मान का प्रतीक होगी। वे चाहते हैं कि प्रशासन इस कार्य को शीघ्रता से पूरा करे ताकि शहीद मेजर जेम्स थॉमस की स्मृति सदा के लिए जीवित रहे।वहीं श्रीमती थॉमस की आंखों में अपने बेटे के लिए गर्व है, लेकिन दर्द भी कम नहीं। उनकी यह अंतिम इच्छा है कि उनके बेटे की प्रतिमा उस शहर में लगे, जिसके लिए उसने अपने प्राण दिए।

अब यह देखना होगा कि बीकानेर प्रशासन और सरकार इस बुजुर्ग मां की पुकार कब तक सुनती है। क्या एक मां को अपने शहीद बेटे के सम्मान के लिए यूं ही गुहार लगानी पड़ेगी, या फिर बीकानेर जल्द ही अपने मातृभूमि के लिए सर्वस्व लुटा चुके वीर सपूत की प्रतिमा के साथ उसका गौरवगान करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *