बीकानेर। 23 साल का भीमला नायक, जिसने सर्कस के ‘मौत के कुएं’ में बाइक चलाने से लेकर अपराध की दुनिया में आतंक मचाने तक का सफर तय किया, आखिरकार कानून की गिरफ्त में आ गया। नागौर जिले के खाटुबड़ी गांव का यह युवक पुलिस के लिए किसी पहेली से कम नहीं था। लेकिन उसकी गिरफ्तारी ने अपराध की दुनिया की एक अनोखी कहानी सामने लाई।भीमला की शुरुआत सर्कस के ‘मौत के कुएं’ में बाइक चलाने से हुई। उसकी काबिलियत और रफ्तार के प्रति जुनून ने उसे एक बेहतरीन राइडर बना दिया। लेकिन जब सर्कस का रोजगार नहीं रहा,तो उसने अपने इस हुनर का इस्तेमाल अपराध की दुनिया में करना शुरू कर दिया। चोरी और लूट के दौरान उसकी मॉडिफाइड बाइक उसका सबसे बड़ा हथियार बन गई।भीमला की बाइक 150-170 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ती थी।उसने बाइक में ऐसे कलपुर्जे भी लगाए थे जिससे उसकी बाइक की गति भी तेज हो गई। वह हर वारदात के बाद अपनी बाइक की स्पीड और सर्कस में सीखी हुई ट्रिक्स के जरिए पुलिस को चकमा देकर भाग जाता सर्कस में कलाबाजियां दिखाने वाला स्टंटमैन इतना शातिर अपराधी बन गया कि बीकानेर, उसके आसपास के इलाकों में मकान किराए पर लेकर वारदातों को अंजाम देकर भाग जाता। चुरू, नागौर, बाड़मेर और बीकानेर में दर्ज 13 मामलों में उसकी खासियत यही थी कि वह हर बार नए तरीके से पुलिस को चकमा दे देता था। बीकानेर में व्यापारी के चाकू लगाकर लूट के बाद मुक्ता प्रसाद थाना और साइबर सेल की टीम ने उसकी हर हरकत पर कड़ी नजर रख रही थी । भीमला की संदिग्ध गतिविधियों की मॉनिटरिंग और गुप्त सूचनाओं के आधार पर उसे आखिरकार गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी से पहले भी पुलिस की जीप को देखकर भीमला अपनी बाइक को फिल्मी स्टाइल में भगा के रफूचक्कर होने की फिराक में था लेकिन रेलवे फाटक बंद होने के चलते वह गिरकर घायल हो गया जिससे उसके दोनों पैर चोटिल हो गए। पुलिस को उसके पास से चोरी की दो मोटरसाइकिलें और वारदात में इस्तेमाल की गई बाइक जब्त की। भीमला की गिरफ्तारी का बड़ा कारण 16 अक्टूबर की लूट की घटना थी। करणी रीको इंडस्ट्रियल एरिया में एक व्यक्ति पर चाकू से हमला कर उसने बैग और पर्स छीन लिया था। इसी वारदात के बाद वह बीकानेर पुलिस ने उसे पकड़ने की योजना बनाई।सीओ सिटी श्रवण दास संत, मुक्ताप्रसाद थानाधिकारी धीरेन्द्र सिंह, और सहायक उप निरीक्षक दीपक यादव के नेतृत्व में बनी टीम ने भीमला को गिरफ्तार किया। सर्कस में अपना हुनरमंद कलाकार से अपराधी बने भींयाराम काम करने वाले कहानी यह साबित करती है कि अपराध की दुनिया में चाहे कोई कितना भी शातिर हो, कानून की नजरों से हमेशा के लिए बचा नहीं जा सकता।