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बीकानेर : सिंचाई पानी की मांग को लेकर उबाल पर किसानों का ग़ुस्सा, हमारा हुक्का और हल चलता रहेगा के लगे नारे

बीकानेर। पश्चिमी राजस्थान के किसानों के लिए जीवनदायिनी मानी जाने वाली इंदिरा गांधी नहर परियोजना इस समय पानी की कमी से जूझ रही हैं । नहर से सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने के कारण किसानों की चना, गेहूं, सरसों और इसबगोल जैसी फसलों पर संकट खड़ा हो गया है। किसानों का कहना है कि अगर जल्द ही नहर से पानी नहीं मिला, तो उनकी फसलें नष्ट हो जाएंगी।

किसान अपनी मांगों को लेकर आंदोलन की राह पर हैं । बीकानेर जिले खाजूवाला, लूणकरणसर, छतरगढ़, पूगल और बज्जू के किसानों का रोष अपने चरम पर हैं । आक्रोशित किसानों ने आज दोपहर दो बजे तक चक्काजाम और बाजार बंद का आह्वान किया है। इन क्षेत्रों में हजारों किसानों ने इकट्ठा होकर इंदिरा गांधी नहर से सिंचाई पानी की मांग की है।

 

*किसान आंदोलन का कारण और संकट*

 

इंदिरा गांधी नहर परियोजना पश्चिमी राजस्थान में एक प्रमुख सिंचाई स्रोत है, जो क्षेत्र के कृषि क्षेत्र को पानी मुहैया कराती है। नहर से पानी की आपूर्ति में कमी के कारण किसानों की फसलों की सिंचाई नहीं हो पा रही है, और इससे उनकी खेती पर भारी असर पड़ रहा है। चना, गेहूं, सरसों, और इसबगोल जैसी फसलें अपने पकाव पर हैं ऐसे में पानी की कमी किसानों के लिए कष्टकारी साबित हो रही है। फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन पर सीधा असर पड़ने के कारण किसान भारी चिंता में हैं। इसके अलावा, कर्ज के बोझ तले दबे किसान पहले ही आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं, और अब सिंचाई पानी की कमी ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं । आज के चक्काजाम और बाजार बंद का आह्वान बीकानेर जिले के विभिन्न क्षेत्रों में किया गया है। खाजूवाला, लूणकरणसर, छतरगढ़, पूगल और बज्जू के किसान सुबह से ही सड़कों पर उतर आए हैं और नहरों से पानी की आपूर्ति की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों के नेताओं ने बताया कि चक्काजाम आज दोपहर दो बजे तक जारी रहेगा, जिसके बाद यह आंदोलन व्यापक रुप ले सकता है।इन क्षेत्रों में व्यापारिक गतिविधियाँ भी प्रभावित हो रही हैं, क्योंकि चक्काजाम के कारण बाजार बंद हैं। हालांकि, आंदोलन के आयोजकों ने स्पष्ट किया है कि इस दौरान आवश्यक सेवाओं को बाधित नहीं किया जाएगा। एम्बुलेंस, स्कूल बस, दूध की आपूर्ति, और विवाह संबंधित वाहन सामान्य रूप से चलते रहेंगे, ताकि जनता को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।किसान आंदोलन को विभिन्न सामाजिक और व्यापारिक संगठनों से समर्थन मिल रहा है। व्यापार मंडल, भीम आर्मी, मोटर पार्ट्स एसोसिएशन, शिक्षक संघ और जल उपभोक्ता संगम जैसी संस्थाओं ने इस आंदोलन का समर्थन किया है। किसान नेताओं का कहना है कि इस समर्थन से उनका आंदोलन और मजबूत होगा और उनकी मांगें सुनी जाएंगी।

 

*दोपहर बाद तय होगी आगे की रणनीति*

 

किसान आंदोलन के नेताओं ने कहा कि यदि उनकी मांगों को नजरअंदाज किया गया, तो वे भविष्य में और बड़े कदम उठा सकते हैं। आगामी दिनों में और भी बड़े प्रदर्शन और चक्काजाम की योजना बनाई जा सकती है। किसानों का कहना है कि अगर नहर से पानी की आपूर्ति जल्द शुरू नहीं होती है, तो उनकी फसलों की बर्बादी निश्चित है, और इससे वे आर्थिक संकट में और भी अधिक फंस जाएंगे।

किसान संगठनों ने प्रशासन से अपील की है कि वह जल्द से जल्द उनकी समस्याओं का समाधान करें, ताकि किसानों को उनके हक का पानी मिल सके और उनके संघर्ष का कोई सकारात्मक परिणाम सामने आए।इंदिरा गांधी नहर परियोजना से पानी की आपूर्ति की समस्या ने पश्चिमी राजस्थान के किसानों को आंदोलन की राह पर ला दिया है। अगर प्रशासन समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाता, तो यह आंदोलन और व्यापक हो सकता है, और किसान अपनी मांगों को लेकर और सख्त रवैया अपना सकते हैं। किसानों के चक्काजाम को देखते हुए जिला प्रशासन पूरे अलर्ट पर है। किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए मौके पर पुलिस के जवानों का अतिरिक्त जाब्ता तैनात किया गया हैं।

बाइट महिपाल सारस्वत, किसान नेता।

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