बीकानेर। बीकानेर के नोखा के एक निजी अस्पताल में विचित्र बच्ची ने जन्म लिया।दोनों बच्चे सामान्य शिशुओं से अलग है, लिहाजा लोग उसे एलियन उपनाम से संबोधित कर रहे हैं। जन्म के बाद बीकानेर के नवजात गहन देखभाल इकाई रेफर किए गए इन बच्चों को देखने देखने के लिए के लिए मेडिकल फील्ड से लेकर आम लोग भी तरह -तरह की बातें कर रहे भी है। दरअसल ये दोनों जुड़वां बच्चे हार्लेक्विन इचिथियोसिस नामक दुर्लभ और गंभीर त्वचा विकार से पीड़ित है। यह बीमारी इतनी दुर्लभ है कि लाखों में से किसी एक नवजात में ही यह पाई जाती है, और जुड़वां बच्चों में इसका होना तो और भी असाधारण है। आपको बता दें कि हार्लेक्विन इचिथियोसिस एक अनुवांशिक विकार है, जिसमें बच्चे की त्वचा असामान्य रूप से मोटी और सख्त होती है। इसके कारण बच्चों के शरीर पर बड़ी-बड़ी प्लेट जैसी पपड़ियां बन जाती हैं और त्वचा पर हीरे के आकार के पैटर्न उभर आते हैं। इस स्थिति के चलते नवजात की त्वचा अत्यधिक संवेदनशील और संक्रमित होने की संभावना भी अधिक होती है।इन दोनों जुड़वां बच्चों की केयर कर रहे डॉक्टर घनश्याम तंवर ने इन जुड़वां बच्चों के जन्म को बेहद चुनौतीपूर्ण बताया, क्योंकि इन बच्चों की देखभाल और उपचार में विशेष तकनीकों की आवश्यकता होती है। बच्चों को संक्रमण से बचाने के लिए दिन-रात देखभाल और निगरानी की जा रही है।हालांकि, चिकित्सा विज्ञान में आई नई प्रगति और उपचार तकनीकों ने इस स्थिति में भी उम्मीद की किरण जगाई है। उनका मानना कहना है कि अगर उचित देखभाल और लगातार उपचार दिया जाए तो इन बच्चों के स्वस्थ जीवन जीने की संभावना को बढ़ाया जा सकता है।
बाइट डॉ जी एस तंवर ,शिशु रोग विशेषज्ञ।