बीकानेर । केंद्रीय जेल में बंद गंभीर अपराध की सजा काट रहें कैदियों का बीकानेर के रविन्द्र रंगमंच में एक अलग ही रूप देखने को मिला। जहां जेल में बंद कैदियों ने रंगमंच पर संगीत की स्वर लहरियां बिखेरते हुए अपने अतीत को भुलाने और बेहतर भविष्य की ओर कदम बढ़ाने की कोशिश करते नजर आए । ये साजिंदे आम फनकार नहीं, बल्कि वे कैदी हैं जो कभी अपराध की दुनिया में थे, लेकिन अब संगीत के माध्यम से अपनी जिंदगी को एक नया आयाम देने की कोशिश कर रहे हैं।इस पहल के तहत जेल प्रशासन ने कैदियों को संगीत सीखने और अभ्यास करने का मौका दिया है। कैदी तबला, हारमोनियम, गिटार, बांसुरी और अन्य वाद्य यंत्रों पर अभ्यास कर रहे हैं। उनके द्वारा तैयार किए गए संगीत कार्यक्रम का जब रविन्द्र रंगमंच में प्रदर्शन हुआ तो वहां मौजूद दर्शक दांतों तले अंगुलियां दबाने को मजबूर हो गए।इस दौरान संगीत के जरिए कैदी न केवल अपनी भावनाओं को व्यक्त करते नजर आए। जेल अधीक्षक सुमन मालीवाल ने बताया कि संगीत थैरेपी के रूप में काम करता है, जो तनाव, अपराधबोध और क्रोध को कम करने में मदद करता है। इस पहल से कैदियों में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। कई कैदी अब अपनी सजा पूरी होने के बाद संगीत को अपना करियर बनाने का सपना देख रहे हैं। यह पहल न केवल उनके पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि समाज को यह संदेश भी देती है कि हर व्यक्ति को अपनी गलतियों से उबरने और नई शुरुआत करने का मौका मिलना चाहिए।हत्या के मामले में सजा काट रहे सरदारशहर के गोविंदा का मानना है कि जेल प्रशासन ने अच्छी पहल की है ।क्षणिक आवेश में आकर किए हुए अपराध के बाद में मन में पछतावा भी है लेकिन अब जेल के अंदर संगीत, कुछ स्किल फुल काम सीखकर जेल के बाहर जाकर हम भी अपना जीवन यापन अच्छे तरीके से कर सकेंगे ।जेल प्रशासन की इस पहल का फायदा निश्चित रूप से अपनी सजा काटने के बाद समाज के मुख्य धारा पर लौटने पर कैदियों को भी होगा साथ ही कैदी भी समाज की मुख्य धारा के साथ जुड़ेंगे