बीकानेर । 2 साल की बच्ची को एक दरिंदा उठाकर ले गया। इसके बाद मासूम बच्ची के साथ दरिंदगी की और उसे बेहोशी की हालत में छोड़कर फरार हो गया। वारदात की जानकारी पुलिस को लगी तो पुलिस ने बच्ची को अस्पताल पहुंचाया। इसके बाद बच्ची के परिवार की जानकारी जुटाई गई, मगर परिवार ने FIR कराने से ही इनकार कर दिया। इसके बाद SHO ने ही केस लड़ा और अब पांच साल बाद मासूम को इंसाफ दिलाया है।बीकानेर की अदालत ने 2 साल की बच्ची से दरिंदगी के मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी है। जिसके बाद मासूम बच्ची को इंसाफ मिल पाया है। मगर इस बच्ची को इंसाफ एक बड़े संघर्ष के बाद मिल पाया है। दरअसल यह मामला पांच साल पुराना है, पुलिस के मुताबिक आरोपी बच्ची को बहलाकर अपने साथ ले गया। इसके बाद आरोपी ने बच्ची से दरिंदगी की और बेहोशी की हालत में उसे छोड़कर फरार हो गया। वारदात की सूचना पर पुलिस ने बच्ची को अस्पताल पहुंचाया और केस दर्ज करने के लिए परिवार की तलाश की।बीकानेर के बीछवाल के तत्कालीन थाना इंचार्ज धीरेंद्र सिंह ने काफी प्रयासों के बाद पीड़ित बच्ची के परिवार को ढूंढ निकाला। मगर परिवार ने इस मामले में FIR दर्ज कराने से ही इनकार कर दिया, लेकिन SHO ने ठान लिया कि अब मासूम बच्ची को इंसाफ दिलाना है। जब काफी कोशिशों के बाद भी परिवार ने FIR नहीं करवाई तो SHO ने खुद ही FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरु कर दी।मासूम बच्ची को इंसाफ दिलाने के लिए SHO ने सभी तरह के सबूत जुटाए। इसके बाद मां को गवाही के लिए बुलाया गया। मगर मां ने गवाही देने से भी इनकार कर दिया। इस बीच SHO का दूसरे थाने में ट्रांसफर हो गया, तब भी वे अपने स्तर पर मामले में सबूत जुटाते रहे। इसका नतीजा यह हुआ है कि पिछले दिनों बीकानेर की अदालत ने इस मामले में आरोपी को आजीवन कारावास की सजा दी है। जिससे मासूम को इंसाफ मिल पाया है। मुक्ता प्रसाद थानाधिकारी के इस प्रयास को आईपीएस दिनेश एमएन ने भी सराहा है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर धीरेन्द्र सिंह को बधाई देते हुए उनके इस प्रयास के लिए बधाई दी है।
बाइट धीरेन्द्र सिंह शेखावत, मुक्ता प्रसाद नगर थानाधिकारी।