बीकानेर। मेरा जन्म एक लड़के के रूप में हुआ था लेकिन मुझे बचपन से लड़कियों की तरह तैयार होना पसंद होना था। घर में छुप-छुप कर मम्मी की लिप्स्टिक लगाना, उनकी साड़ी पहनना, बालों को सजाना, गुड़िया के साथ खेलना, दुपट्टा ओढ़ना….तब मैं छोटी थी इसलिए घर वालों को लगता था कि बड़ा होगा तो सुधर जाएगा। लेकिन मेरी लड़कियों की तरह तैयार होने की इच्छा बड़े होकर भी नहीं बदली। ये कहानी है लड़के से लड़की बने इकतारा माहेश्वरी की। अपने शारीरिक आकर्षण को डरते डरते अपनी मां को इस बारे में सब कुछ बता दिया। मां ने पिता को जब यह बात बताई तो पिता ने पहले तो गुस्सा किया उसके बाद वह भी मान गए। 3 साल विदेश में रहकर हार्मोनल चेंजस करवाए। इस दौरान शरीर के बालों को हटाने की असहनीय पीड़ा भी सही पीड़ा भी सही उसके बाद लाखों रुपए खर्च करके जब एक तारा बनी तो पहला सवाल यही था कि घर वाले स्वीकार करेंगे कि नहीं लेकिन जैसे ही वह घर के दरवाजे पर पहुंची परिवार ने उसके स्वागत में ढोल नगाड़े बजाएं ।आस पड़ोस से लोग भी इस अनोखे उत्सव का हिस्सा बनने के लिए वहां पहुंच गए ।इस दौरान रिश्तेदारों ने भी एक तारा को गिफ्ट देकर उसका स्वागत किया। एक तारा का नया रूप देखकर पिता भी काफी खुश दिखाई दिए उनका कहना है कि किसी परिवर्तन को पहचान कर खुले दिल से स्वीकार करना और उसका साथ देना ही असली इंसानियत है।