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बीकानेर : फुलझड़ी उद्योग पर जीएसटी की मार,पहले हुआ करती थी दस फेक्ट्रियां अब यह गई तीन

बीकानेर। जीएसटी की मार से बीकानेर में बनने वाले फुलझडियो की चमक-दमक इस बार कुछ कम हो सकती है। बढ़ी हुई जीएसटी की दरों ने पटाखा बाजार की कमर तोड कर रख दी है। पटाखा बाजार भी बीते साल के मुकाबले कई गुना तक महंगा होगा। बीकानेर के फुलझड़ी बनाने वाले व्यापारियों का कहना है कि कहना है कि अब तक पटाखा-आतिशबाजी पर 14 फीसदी टैक्स लगता था, जो जीएसटी के बाद 18 फीसदी हो गया है। थोक पटाखा कारोबार से जुड़े वीरेंद्र किराडू ने बताया कि बीकानेर संभाग में पहले दस फुलझड़ी,पटाखों की फेक्ट्रियां हुआ करती थी।प्रतिस्पर्धा के चलते अब तीन ही रह गई है। उसका बड़ा कारण यह है कि जो बड़ी फैक्ट्रियां थी जिनका टर्न ओवर एक करोड़ से ऊपर था और जो मध्यम छोटी फेक्ट्रियां थी उन पर भी 18प्रतिशत जीएसटी लागू कर दिया जिससे छोटी फेक्ट्रियां लगभग बंद ही हो गई। उन्होंने बताया कि बड़े व्यापारी आमतौर पर अधिक संसाधनों और नेटवर्क के साथ काम करते हैं, जिससे उन्हें कीमत को नियंत्रित करने में मदद मिलती है हालांकि 18% जीएसटी की दर उनके लिए भी एक बोझ है क्योंकि यह उनके मुनाफे को भी प्रभावित कर रहा है। इसके विपरीत छोटे व्यापारी पहले से ही सीमित संसाधनों और बाजार में प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे थे उन्हें जीएसटी दरों के कारण लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ रहा है जिससे उसे उनकी फैक्ट्रीयों में ताले लग गए। सरकार को चाहिए के इन छोटी फैक्ट्री को कुटीर उद्योग का दर्जा देकर जीएसटी में रियायत दी जाए ताकि इस व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी बच सके ।

 

*इस बार 30से 35प्रतिशत तक बढ़ सकते हैं आतिशबाजी के दाम*

 

सालभर पहले छोटे अनार के पैकेट की कीमत 50 रुपये थी, जो अब 90 रुपये पहुंच गई है।20 रुपये में बिकने वाले छोटी चकरी के पैकेट 55 रुपये में बिक रहे हैं।कारोबारियों ने बताया कि थोक पटाखा सप्लाई में देश की सबसे बड़ी मंडी माने जाने वाले तमिलनाडु के शिवकाशी जिले में भी जीएसटी का असर दिख रहा है। यहां से देश के 85 फीसदी हिस्सों में होने वाली थोक पटाखा सप्लाई की कीमत में भी इजाफा हुआ है। ऐसे में 35 से 30 फीसदी महंगे दाम पर बेचना पटाखा कारोबारियों की मजबूरी बनेगा।

बाइट वीरेंद्र किराडू, सचिव बीकानेर फायर वर्क्स एसोसिएशन।

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