बीकानेर। वेद पुराणों में सावन माह में शिव भक्ति का विशेष महत्व बताया गया है। श्रावण मास भगवान शंकर की पुजा-अर्चना को समर्पित है।सावन के पहले सोमवार को भगवान भोले के भक्तों ने भगवान शिव को रुद्राभिषेक, दुग्धाभिषेक, जलाभिषेक कर रिझाया।राजस्थान के इतिहास में सावन में पहली 18 फीट ऊंचे शिवलिंग की 1 महीने तक पूजा होगी। इस शिवलिंग की खास बात यह है कि यह बर्फ या शिला से नहीं बल्कि रुद्राक्ष से बना हुआ है। करीब सवा लाख पंचमुखी रुद्राक्ष से तैयार यह शिवलिंग भोले के भक्तों के लिए कोतूहल का विषय बना हुआ है। शिवलिंग में लगे सभी रुद्राक्ष नेपाल से आए हैं। करीब छह लाख की लागत से बने इस शिवलिंग की बीकानेर की वैष्णो धाम में सावन महीने में पूजा की जाएगी। सावन महीना समाप्त होते ही सभी रुद्राक्ष भक्तों को वितरित कर दिए जाएंगे। साथ ही इस शिवलिंग पर जो भी चढ़ावा आएगा वह गरीबों के कल्याण के लिए खर्च किए जाएंगे। वैष्णो धाम मंदिर में गुजरात के 8 पंडित प्रवास कर रहे हैं। सावन मास के दौरान पंडितों ने मंदिर में शिवलिंग बनाने की इच्छा जताई। जिस पर मंदिर प्रबंधन समिति ने अपनी सहमति दे दी। करीब 8 दिन में नेपाल से आए इन रुद्राक्ष से शिवलिंग को तैयार किया गया। जिस पर जलाभिषेक के लिए पास में ही सीढ़ियां भी लगाई गई है। सावन के दौरान 24 घंटे यहां मंत्र जाप किया जा रहा है। इस शिवलिंग बनाने का एक मुख्य उद्देश्य युवाओं को धर्म की तरह को प्रेरित करने का भी है क्योंकि आज समाज का हर युवा धर्म से अलग होता जा रहा है ऐसे में आकर्षण से उसका जुड़ाव वापस अपने धर्म की तरफ होगा।