बीकानेर ।शहर में डेंगू मरीजों की संख्या 400 के पार पहुंचने से स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। डेंगू पीड़ितों मरीजों की संख्या 400 के पार कर चुकी है।इन मरीजों में एन एस 1के मरीजों की संख्या लगभग 238 के करीब है। आइजीएम के 167 है इसके अलावा मलेरिया के केस 63 है। सीएमएचओ डॉ राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि जिला कलेक्टर के निर्देश पर 546 लोगों की मोबाइल टीमें में बनाई है। टीमों में आशा सहयोगिनी एएनएम,सीएचओ जीएनएम, नर्सिंग स्टूडेंट्स, डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर भी लगा रखे हैं। विभाग की टीमें रोज 30 से 50 घरों का सर्वे कर रही है।टीमों द्वारा सैंपलिंग कराई जा रही है। टीमों द्वारा घर घर जाकर एंटी लारवल गतिविधियां करवाई जा रही है। डेंगू पाज़िटिव के सरकारी और प्राइवेट दोनों जगहों की बात करें तो ये आंकड़ा अभी और ऊपर तक जाएगा। हालांकि सीएमएचओ डॉ गुप्ता ने बताया कि पिछले एक हफ्ते से मरीजों की संख्या में इजाफा देखने को मिला है।ऐसे में रोजाना करीब 50 से 60 लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं। इनमें से 2 या 3 लोगों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आ रही हैं। इसके अलावा कुछ मरीज ऐसे भी आ रहे हैं,जिनको बुखार काफी तेज रहता है।ऐसे मरीजों को भर्ती भी करना पड़ा रहा है,लेकिन इनकी संख्या बहुत कम रहती है। मौसमी बीमारियों के बढ़ते हुए मरीजों की तादाद का असर अब संभाग के सबसे बड़े अस्पताल की व्यवस्थाओं पर भी पड़ने लगा है।अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ने के चलते उन्हें भर्ती करने के लिए बेड भी कम पड़ने लगे हैं।ऐसे में जनाना अस्पताल के एमसीएच विंग के खाली पड़े वार्डों में इन मरीजों को शिफ्ट करने की तैयारी भी की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अलग-अलग जगहों पर हॉट-स्पॉट चिन्हित किए हैं। विभाग की टीम इन इलाकों पर लगातार नजर बनाए हुए है।
*कैसे फैलता है डेंगू*
बता दें, डेंगू लोगों में एडीज प्रजाति की मादा मच्छरों के काटने से फैलता है। कभी-कभी टाइगर मच्छर के काटने से भी यह बीमारी फैलती है। जब एडीज प्रजाति का मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है और उसके बाद वह स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, जिससे वह भी संक्रमित हो जाता है। बता दें, यह वायरस गर्भवती महिला से उसके शिशु में या रक्तदान के माध्यम से भी फैल सकता है।
*ऐसे करें बचाव*
एडीज मच्छर जमे हुए पानी में पनपता है। ऐसे में घर के कूलर, पानी टंकी, चिड़ियो के लिए बर्तन में रखे गए पानी, फ्रिज के ट्रे और पौधों के गमलों में पानी को अधिक समय तक पानी न जमा होने दें। उसे हमेशा बदलते रहें।