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बीकानेर: शैक्षिक कैलेंडर का नाम बदला, इंदिरा गांधी की जयंती हटाने पर कांग्रेस ने कहा, ओछी मानसिकता

बीकानेर। राजस्थान शिक्षा विभाग ने अपना शिविरा पंचांग जारी कर दिया है। शिक्षा विभाग द्वारा जारी केलेंडर को लेकर अब राजनीतिक विवाद भी शुरू हो गया है। विवाद की असली जड़ शिक्षा विभाग द्वारा जारी शिविरा पंचांग में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती को लेकर कोई भी दिशा निर्देश नहीं दिए गए हैं। शिविरा पंचांग में 19 मई को इंदिरा गांधी की जयंती को शिक्षा विभाग भूल गया है । जिसका कांग्रेस नेताओं ने विरोध भी शुरू कर दिया है। शहर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष यशपाल गहलोत ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती को भूल जाना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है। आयरन लेडी की जयंती पर पहले भी कई कार्यक्रम होते रहे हैं सरकार द्वारा उनकी जयंती पर पंचांग में जगह न देना सरकार की दुर्भावना जताता है । पंचांग के माध्यम से हमारे देश के नेताओं की जयंती या उनके अवसान पर कार्यक्रम आयोजित कर हमारे बच्चों को उनके देश को दिए योगदान की याद दिलाता है।ऐसे में पूर्व प्रधानमंत्री के जयंती को शिविरा पंचांग से हटाने की मैं कड़ी निंदा करता हूं।

 

 

वही यूआईटी के पूर्व चेयरमैन मकसूद अहमद ने सरकार के इस कदम की भर्त्सना करते हुए कहा कि 19नवंबर को देश आयरन लेडी इंदिरा गांधी की जयंती मनाता है सरकारी स्कूलों में भी इस दिन कार्यक्रम होते थे। भाजपा सरकार को हमेशा से ही नेहरू परिवार से दिक्कत रही है। जहां 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी के निधन को देश कौमी एकता दिवस के रुप में मनाया जाता है आज आर एस एस ने इस दिवस को समरसता दिवस घोषित कर दिया है। दोनों शब्दों में कोई फर्क नहीं है। हमारे स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को हमारे महापुरुषों की जीवनी और उनकी भारतीय राजनीति में उनकी भूमिका जानने का हक है भाजपा सरकार देश के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट कर आर एस एस के ऐजेंडे को लागू करना चाहती है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती को शिविरा पंचांग में शामिल न करना भाजपा सरकार की नीयत को दर्शाता है।

 

 

*राजस्थान सरकार के एकेडमिक कैलेंडर पर विवाद*

राज्य के सरकारी स्कूलों में आर्टिकल 370 निरस्त किए जाने को भी अपने कैलेंडर में शामिल किया गया है। राजस्थान के स्कूलों में अब धारा 370 हटाने वाले दिन (5 अगस्त) को ‘स्वर्ण मुकुट मस्तक दिवस’ के नाम से पढ़ाया जाएगा। राजस्थान सरकार के इस कदम से नया राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है। पंचांग के अनुसार 28 मई को सावरकर उत्सव 4 फरवरी को सूर्य नमस्कार दिवस, 7 फरवरी को छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती के रूप में मनाया जाएगा। वहीं, वैलेंटाइन डे यानि 14 फ़रवरी को माता पिता दिवस और 23 जनवरी को देश प्रेम दिवस यानी सुभाष चंद्र बोस दिवस के रूप में मनाया जाएगा। सावरकर जयंती ग्रीष्म अवकाश के दौरान पडेगी।राजस्थान के शिक्षा विभाग की तरफ़ से जारी इस एकेडमिक कैलेंडर में पहले की तरह रखे त्योहारों के साथ ये नए दिन जोड़े गए हैं। वही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती को शिविरा पंचांग से हटाए जाने को लेकर

शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि पूर्व प्रधानमंत्री की जयंती को शिविरा पंचांग से हटाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार का यह कदम समझ से परे है। अगर यह विभाग की ग़लती है तो इसकी जांच की जानी चाहिए। सरकार को चाहिए कि इस मामले में राजनीति नहीं करनी चाहिए सरकारें आती जाती रहती है। इस तरह की परंपरा ठीक नहीं है।बहरहाल शिक्षा विभाग द्वारा वार्षिक पंचांग की घोषणा होते ही एक बार फिर से शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री दोनों विपक्ष के निशाने पर आ गए। दरअसल 2024-25 के लिए जारी किए गए शैक्षिक कैलेंडर शिविरा पंचांग में से इंदिरा गांधी की जयंती को हटा दिया जाना विवाद का विषय बन गया है।

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