बीकानेर।खेतों में लहलहाती फसल को देखकर किसान सोच रहे थे कि इस बार अच्छी फसल होगी मगर ऊपरवाले को शायद ये मंजूर नहीं था, खेतों में खड़ी फसल बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि से औंधे मुंह गिर गई है। लाखों रुपए का कर्ज़ लेकर बोई हुई फसल को यों बर्बाद होते देख किसानों के सर पर परेशानी के बल ला दिए हैं। श धरती का सीना चीर कर बंजर जमीन पर अपने खून पसीने से फसल लहराने वाले किसान के हाथ इस बार भी खाली दिखाई दे रहे है। कुछ ऐसा ही बीकानेर क्षेत्र के किसानों के साथ हो रहा है एक के बाद एक आई आपदा के साथ साथ लगातार मौसम की मार ने किसानों को खून के आंसू रोने को मजबूर कर दिया।दो दिनों से हो रही बारिश के साथ ओलावृष्टि ने खेत मे खड़ी फसल तो खराब की ही साथ मे जो पिछली पक्की पकाई तोड़ी हुई फसल थी उसको को भी बर्बाद कर दिया।किसानों को अपनी किस्मत मुठ्ठी से रेत की मानिंद फिसलती नजर आ रही है।पश्चिमी विक्षोभ के कारण जिले में दो दिन से आए मौसम के बदलाव ने गर्मी से एक तरफ से राहत दी है वहीं दूसरी तरफ किसानों की कमर तोड़ दी है।बीकानेर क्षेत्र के बखुसर दुलचासर, करणाना ताल, सुईं में तीन माह पूर्व बीजी गई ईसबगोल, चना, सरसो की बिजाई की गई फसलें अब पूरी तरह पक कर को तैयार थी किसानों के चेहरों पर खुशी भी थी की फसल पका पर है और जल्द ही उसे बाजार में बेच वह अपने और परिवार के सपने पूरे करेगा किसान के सपनों के पंखों से सपनों को पूरा करने के लिए फैलाता उससे पहले ही ओलावृष्टि और तेज बारिश ने सपनों को चौपट कर दिया। कहते है कि ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसल खराब हो गई है। पहले से ही सिंचाई पानी की कमी के कारण किसान परेशान था ऊपर से हुई इस आपदा ने किसान को झंकझोर कर रख दिया है। किसान अब सरकार व जिला प्रशासन की तरफ देख रहा है कि सरकार कुछ मदद करें तो कुछ राहत मिले। किसान कभी सिंचाई पानी की कमी से तो कभी मौसम की मार से रूबरू होता रहता है। उपर वाले के इस कहर के बाद किसानों को अब अपने नुकसान की भरपाई को लेकर निराश किसान सरकार की तरफ से इमदाद की उम्मीद में की आश कर रहा है।