राजस्थान पुलिस बेड़े के मुखिया यानी डायरेक्टर जरनल ऑफ पुलिस की तलाश तेज हो चुकी है। वर्तमान डीजीपी एमएल लाठर का कार्यकाल 3 नवंबर को पूरा हो रहा है। नया डीजीपी कौन बनेगा, संघ लोक सेवा आयोग ने इसको लेकर राज्य सरकार से पैनल मांगा है। आयोग में 14 अक्टूबर को बैठक होगी।आयोग ने चयन प्रक्रिया के लिए 14 अक्टूबर को बैठक में मुख्य सचिव, डीजीपी और अन्य अधिकारियों को बुलाया है। बैठक को लेकर पुलिस मुख्यालय में हलचल बढ़ गई है। सीएम गहलोत नए डीजीपी के लए राजनीतिक और सियासी समीकरण देखकर ही निर्णय लेंगे। डीजीपी एमएल लाठर को जातीय समीकरण देखकर ही पुलिस का मुखिया बनाया था। क्या इस बार भी पुलिस की कमान जातीय समीकरण के आधार पर सौंपी जाएगी या मुख्यमंत्री राज्य की स्थिति को ध्यान में रखते हुए फैसला लेंगे।2023 राजस्थान विधानसभा चुनाव होने हैं। इस समय मुख्यमंत्री गहलोत का पूरा फोकस राजस्थान की कानूनी व्यवस्था को बनाए रखना और किसी भी प्रकार का जातीय उन्माद से बचना ही पहली प्राथमिकता है। राजस्थान में मुख्यमंत्री गांधीवादी नेता के रूप में जाने जाते हैं। न्याय हो सबके साथ, यही मुख्यमंत्री की प्राथमिकता रही है। चुनावी साल होने के कारण डीजीपी का फैसला बहुत ही अहम होगा। मुख्यमंत्री गहलोत एक ऐसे डीजीपी की तलाश में हैं, जिसका राजस्थान में कोई खासा जातीय उपस्थिति ना हो। साथ ही न्याय के मामले में कोई जातीय भेदभाव ना हो, जिसके चलते प्रदेश में चुनावी साल में कानून व्यवस्था को मजबूत रखा जा सके। प्रदेश के पुलिस मुखिया का कोई जातीय प्रभाव नहीं होने के कारण किसी के भी प्रभाव में आने की कम ही उम्मीद होती है। जिसके चलते प्रदेश में सभी को समानता से न्याय मिल सकता है। मुख्यमंत्री गहलोत इस बार किसी ऐसे चेहरे पर मोहर लगा सकते हैं, जो कि प्रदेश की कानून व्यवस्था को बेह्तरीन ढंग से मैनेज कर सके। पिछले कुछ समय से विधायकों की ओर से पुलिस पर दवाब देखा गया है। जिसके कारण मुख्यमंत्री गहलोत की भी काफी किरकिरी हुई थी।
ये हैं रेस में
पुलिस सूत्रों की मानें तो राजस्थान के नए डीजीपी की दौड़ में सबसे आगे डीजी जेल भूपेंद्र कुमार दक और इंटेलिजेंस डीजी उमेश मिश्रा है। जबकि वरिष्ठता के आधार पर होम गार्ड डीपी यूआर साहू का नाम आता है। सेवानिवृत्ति में 6 माह का कम होने के चलती एसीबी डीजी बीएल सोनी और बीएसएफ में डीजी पंकज सिंह रेस से बाहर हो सकते हैं।राजनीतिक सूत्र कहते हैं कि मुख्यमंत्री गहलोत इस बार किसी एसे चेहरे को आगे ला सकते हैं, जो सिर्फ पुलिसिंग पर ही अपना ध्यान केंद्रित कर प्रदेश की कानून व्यवस्था को चुनावी साल में बेह्तरीन तरीके से संभाल सके। मुख्यमंत्री के पास कुछ चुनिंदा ऑफिसरों की लिस्ट पहुंच चुकी है। जिसमें से मुख्यमंत्री अपनी ही तरह के किसी गांधी वादी चेहरे को प्रदेश की कमान सौंप सकते हैं। सूत्रों के अनुसार ये ऑफिसर मुख्यमंत्री के काफी नजदीक रहे है और वर्तमान में भी एक अहम जिम्मेदारी पर मौजूद है। प्रदेश में चुनावों को देखते हुए पुलिस बेड़े के मुखिया की जिम्मेदारी एक सुलझे हुए अधिकारी को देने का मन मुख्यमंत्री गहलोत बना चुके है।