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बीकानेर: जातीय भेदभाव का मामला: बाल काटने से इनकार, वीडियो वायरल , दुकानदार सहित दो गिरफ्तार

बीकानेर: जातीय भेदभाव का मामला: बाल काटने से इनकार, वीडियो वायरल , दुकानदार सहित दो गिरफ्तार

बीकानेर। राजस्थान के बीकानेर जिले के नोखा क्षेत्र के झाड़ेली गांव में जातीय भेदभाव का मामला सामने आया है, जहां एक दलित युवक हनुमाना राम मेघवाल को बाल कटाने और दाढ़ी बनवाने से नाई दुकानदार ने मना कर दिया। इस पर विवाद बढ़ा और इसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए नाई दुकानदार और एक अन्य युवक को गिरफ्तार कर लिया।

हनुमाना राम मेघवाल जब झाड़ेली गांव में स्थित नाई की दुकान पर बाल कटाने गए, तो वहां मौजूद दुकानदार ने उन्हें सेवा देने से मना कर दिया। इससे नाराज हनुमाना राम ने इसका विरोध किया, जिसके चलते वहां बहस हो गई। इस पूरी घटना को वहां मौजूद किसी व्यक्ति ने रिकॉर्ड कर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया और आरोपियों पर एससी-एसटी अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया।जसरासर थानाधिकारी संदीप कुमार के नेतृत्व में पुलिस टीम ने उच्चाधिकारियों के निर्देश पर दोनों आरोपियों को हिरासत में लिया। सीताराम (35 वर्ष) पुत्र स्व. भागीरथ, जाति-जाट, निवासी झाड़ेली,किशनलाल उर्फ किशनाराम (28 वर्ष) पुत्र बजरंगलाल, जाति-नाई, निवासी झाड़ेली पुलिस ने दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया गया।यह घटना समाज में जातीय भेदभाव की कड़वी हकीकत को उजागर करती है। प्रशासन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी प्रकार का जातीय भेदभाव सहन नहीं किया जाएगा।इस घटना के बाद स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है और कई सामाजिक संगठनों ने इस कृत्य की निंदा करते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है।वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर लोगों में गुस्सा देखने को मिल रहा है। कई लोग इसे जातीय भेदभाव और सामाजिक असमानता का उदाहरण मानते हुए सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने संदेश दिया है कि किसी भी तरह के जातीय भेदभाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ऐसे मामलों में कठोर कार्रवाई की जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी इस तरह का कृत्य करने की हिम्मत न कर सके।इस घटना ने जातिगत भेदभाव के मुद्दे को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। कानून और प्रशासनिक कार्रवाई के अलावा समाज को भी इस प्रकार की मानसिकता को बदलने के लिए आगे आना होगा। ऐसी घटनाएं देश की सामाजिक एकता और समानता के सिद्धांतों के खिलाफ हैं।

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