
बीकानेर: राजस्थान में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए जासूसी करने वाले रेलवे कर्मचारी को इंटेलिजेंस एजेंसी ने गिरफ्तार किया है। आरोपी की पहचान भवानी सिंह के रूप में हुई है, जो रेलवे में पॉइंटमैन के पद पर कार्यरत था। उसे एक पाकिस्तानी युवती ने हनीट्रैप में फंसाया और सेना से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं हासिल कीं।जांच में सामने आया कि भवानी सिंह पिछले कई महीनों से पाकिस्तान की एक महिला एजेंट से संपर्क में था। यह संपर्क सोशल मीडिया के माध्यम से हुआ था, जहां महिला ने खुद को भारतीय नागरिक और पत्रकार बताया था। धीरे-धीरे बातचीत बढ़ी और भवानी सिंह को इस जाल में फंसा लिया गया। इसके बाद वह पैसों के लालच में सेना से जुड़ी खुफिया जानकारी पाकिस्तान भेजने लगा।
राजस्थान इंटेलिजेंस लंबे समय से पाकिस्तान की एजेंसियों द्वारा संचालित जासूसी गतिविधियों पर नजर रखे हुए थी। इसी दौरान एक संदिग्ध कॉल को ट्रेस किया गया, जिसमें रेलवे कर्मचारी भवानी सिंह का नाम सामने आया। जब उसकी गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखी गई, तो यह स्पष्ट हो गया कि वह पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI को गोपनीय जानकारियां भेज रहा था।सूत्रों के अनुसार, भवानी सिंह महाजन रेलवे स्टेशन पर तैनात था, जहां से सेना के जवानों और सैन्य सामग्री का आवागमन होता है। महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में बड़े स्तर पर सैन्य अभ्यास होते हैं, जिनकी जानकारी बेहद संवेदनशील होती है। भवानी सिंह ने इस जानकारी को लीक कर दिया और इसके बदले में उसे पाकिस्तानी एजेंट्स से पैसे मिले।जैसे ही इंटेलिजेंस को भवानी सिंह के खिलाफ पुख्ता सबूत मिले, उसे 28 फरवरी को महाजन रेलवे स्टेशन से डिटेन कर लिया गया और जयपुर लाया गया। यहां पूछताछ के दौरान उसने अपने अपराध को कबूल किया, जिसके बाद उसे औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया गया।पूछताछ में खुलासा हुआ कि भवानी सिंह ने पाकिस्तान की महिला एजेंट निमी से सोशल मीडिया पर दोस्ती की थी। पहले तो वह आम बातचीत करता था, लेकिन बाद में निमी ने उसे बहलाकर सेना से जुड़ी गोपनीय जानकारियां साझा करने के लिए मना लिया। इसके बदले में भवानी सिंह को पैसे मिलते थे, जो अलग-अलग खातों में भेजे जाते थे।महाजन फील्ड फायरिंग रेंज भारत का एक प्रमुख सैन्य अभ्यास क्षेत्र है, जहां सेना के जवानों का प्रशिक्षण होता है। यह क्षेत्र पाकिस्तान सीमा से सटा हुआ है, इसलिए यहां सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रहती है।पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियां इस क्षेत्र में जासूसी के लिए हनीट्रैप का सहारा लेती हैं। वे पाकिस्तानी लड़कियों को पत्रकार या सोशल वर्कर बनाकर भारतीय सेना से जुड़े लोगों से दोस्ती करने के लिए तैयार करती हैं। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें भारतीय सैनिकों, रेलवे कर्मचारियों और अन्य सरकारी अधिकारियों को हनीट्रैप में फंसाया गया है।पिछले साल फरवरी में ही महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में कैंटीन चलाने वाले विक्रम सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह भी पाकिस्तानी युवतियों के संपर्क में था और सेना से जुड़ी जानकारियां लीक कर रहा था।इस घटना के बाद भारतीय खुफिया एजेंसियों ने अपनी सतर्कता और बढ़ा दी है। रेलवे कर्मचारियों, सेना से जुड़े अधिकारियों और अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर कार्यरत कर्मियों पर विशेष नजर रखी जा रही है।सूत्रों के अनुसार, भवानी सिंह का मोबाइल जब्त कर लिया गया है, और उसके सोशल मीडिया चैट्स, बैंक खातों और कॉल रिकॉर्ड्स की गहन जांच की जा रही है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल है।
सरकारी एजेंसियों ने साफ कर दिया है कि इस तरह की जासूसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भवानी सिंह पर आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। यदि आरोप साबित होते हैं, तो उसे कड़ी सजा हो सकती है।भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने आम नागरिकों और सरकारी अधिकारियों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर अजनबियों से बातचीत करने से बचें, खासकर अगर वे खुद को विदेशी पत्रकार या शोधकर्ता बताते हैं। कई मामलों में पाकिस्तानी एजेंट्स पहले दोस्ती बढ़ाते हैं और फिर धीरे-धीरे गोपनीय जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं।रेलवे और अन्य सरकारी विभागों में कार्यरत कर्मचारियों को भी सतर्क रहने की हिदायत दी गई है। उन्हें किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत रिपोर्ट करने को कहा गया है, ताकि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जा सके।भवानी सिंह की गिरफ्तारी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियां भारत में जासूसी के लिए लगातार नए तरीके अपना रही हैं। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां इस चुनौती का डटकर मुकाबला कर रही हैं, लेकिन आम नागरिकों की जागरूकता भी बेहद जरूरी है। सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हैं।